इनका असली नाम शाहरुख़ खान नही है
इनके फैन इन्हे कभी बादशाह खान कह कर बुलाते हैं तो कभी किंग खान,लेकिन यहाँ तक की इनके चाहने वाले भी नही जानते कि इनकी नानी ने इनका नाम अब्दुल रहमान रखा था I बाद में इनका माँ ने इनका नाम बदल कर शाहरुख़ रखा जिसका अर्थ है 'राजकुमार जैसा चेहरा' I
क्या होता है जब वो रोते हैं
जब एक शो में यह पुछा गया कि आखरी बार वो कब रोये तो उन्होंने अपने अंदाज़ में बताया कि वो आईपीएल में आखरी बार रोये थे I वो आगे बताते है की उनका दिल भी बहुत भावुक है और बाथरूम में अकेले कई बार रोते हैं जब उनको अपने माँ बाप की याद आती है या जब वो बहुत खुश होते हैं I आगे बताते हैं कि वह अपने बच्चो के सामने नही रोते क्योकि उनको बुरा लगता है और कुछ समय के बाद उनके बच्चे उनका मज़ाक बनाते हैं I
जो कुछ नही करते वो कमाल करते हैं
शाहरुख़ के पिता ने अपनी जिंदगी में बहुत आर्थिक मुश्किलों का सामना किया था लेकिन उन्होंने शाहरुख़ को हमेशा प्रोत्साहित ही किया I वो कहते थे जो भी करो दिल से करो I शाहरुख़ को उपने पिता की एक बात आज भी याद है की वह उन्हें कहते थे," जो कुछ नही करता वो कमाल करता है I " शाहरुख़ को हॉकी बहुत पसंद था और वो इसको खेलते थे I लेकिन पीठ में लगी चोट के कारण उन्हें हॉकी छोड़ना पड़ा I खुश्किस्मती से उनका एक सीरियल फौजी को बहुत सफलता मिली और फिर उनको मुंबई से बहुत ऑफर आने लगे I वह कभी दिल्ली नही छोड़ना चाहते थे और उन्होंने सभी ऑफर ठुकरा दिए I लेकिन एक दिन हेमा मालिनी के फ़ोन करने पर उन्हें मुंबई आना पड़ा I
उनका पहला वेतन
शाहरुख़ का पहला वेतन 50 रूपये था जो उन्होंने पंकज उदास के एक दिल्ली में हुए शो में कमाए थे और फिर उन्होंने इन रुपयो का इस्तेमाल ताजमहल देखने में किया I
हिंदी में हाथ तंग
शाहरुख़ की हिंदी बचपन में बहुत कमजोर थी I उनकी माँ ने वादा किया कि अगर वो हिंदी में पास हो गया तो वो उसको फिल्म दिखाने ले जाएगी I शाहरुख़ को फिल्म देखने का शौक था फिर तो उन्होंने सभी हिंदी परीक्षा में टॉप करना शुरू कर दिया I
अपने हाथ कटने का डर
हमने कई बार उनको अपनी फिल्मों में खूबसूरत अभिनेत्रियों के सामने हाथ फैलाते हुए देखा होगा I ये न केवल उनका ट्रेड मार्क है बल्कि प्यार को अभिव्यक्त करने का उनका तरीका भी I इसी वजह से उन्हें कई बार डर लगता है कि कोई उनके हाथ ना काट ले I
उनकी बेटी भी अभिनेत्री बने
शाहरुख़ कहते हैं कि वो महिलाओं की बहुत इज़्ज़त करते हैं और उन सब अभिनेत्रियों की भी जिन्होंने उनके साथ काम कियाI इसीलिए वो भी चाहते हैं की मेरी बेटी का नाम भी उन महान अभिनेत्रियों में हो I
शाहरुख़ खान -एक लेखक के तौर पर
महेश भट्ट के कहने पर वो अपनी ज़िंदगी के बारे में एक किताब लिख रहे हैं जिसका नाम है -'20 years of a decade ' ये किताब अभी उन्होंने पूरी नही की है I इसके अलावा वो एक और किताब लिख रहे हैं जिसका नाम है -'Suhana on acting from papa.' वो कहते हैं ,"मैं अपनी बेटी को बताना चाहता हूँ कि मैं कैसे एक्टिंग करता हूँ क्यूंकि वो भी एक अभिनेत्री बनना चाहती है और इसीलिए में अपनी पूरी एक्टिंग का अनुभव लिखना चाहता हूँ I
शाहरुख़ खान -एक सेल्समेन के तौर पर
शाहरुख़ ने मुंबई थिएटर में अपनी एक फिल्म की बुकिंग विंडो से टिकटे बेचीं थी ,फिल्म का नाम था 'कभी हाँ कभी ना'(1994)I उनको इस काम के लिए २५००० रूपये अदा किये गए I
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